हम सब में कहीं एक हिमांश होता तो है...। हम सब में कहीं एक हिमांश होता तो है...।
क्या तुम चलोगे मेरे साथ वहाँ, जहाँ कैद हैं ख़्वाब और ख़्वाहिशें, ऊँची दीवारों से टकराकर, वापस लौट... क्या तुम चलोगे मेरे साथ वहाँ, जहाँ कैद हैं ख़्वाब और ख़्वाहिशें, ऊँची दीवारों ...
तो बिन सोचे उस बशर को मैं माफ करता हूँ । तो बिन सोचे उस बशर को मैं माफ करता हूँ ।